अभियोजन की आयोजित मासिक बैठक में स्पीडी ट्रायल मामलों के तीव्र निष्पादन हेतु विचारण पूर्ण कराने का दिया गया निर्देश।

0
171

जिलाधिकारी डॉक्टर आलोक रंजन घोष एवं पुलिस अधीक्षक अमितेश कुमार की संयुक्त अध्यक्षता में अभियोजन की मासिक बैठक समाहरणालय सभाकक्ष में आयोजित की गई। बैठक में विशेषकर स्पीडी ट्रायल अन्य विधिक वादों के मामलों की समीक्षा की गई एवं इनके तीव्र निस्तारण हेतु सभी संबंधितों को निर्देशित किया गया।

अभियोजन की समस्याओं के निराकरण हेतु मासिक रूप से आयोजित इस बैठक में जिला लोक अभियोजन पदाधिकारी एवं लोक अभियोजकों को वादों की सूची सौंपने का निर्देश देते हुए कहा गया कि इनका तीव्र निस्तारण कराया जाए। गवाहों की गवाही ससमय पूर्ण कराकर विचारण प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया गया, ताकि माननीय न्यायालय द्वारा अभियुक्तों को सजा दिलाई जा सके।

त्वरित विचारण में उत्पाद, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण संबंधी अधिनियम, नारकोटिक ड्रग एवं साइकॉट्रॉपिक पदार्थ अधिनियम के अंतर्गत वादों की समीक्षा की गई एवं सभी अभियोजकों को निदेश दिया गया कि विभागीय नियम के अनुसार सामान्य वाद में 1 एवं त्वरित विचरण के 2 वाद हर महीने निष्पादित करना सुनिश्चित करेंगे ।

उत्पाद एवम यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण संबंधी अधिनियम से संबंधित चिन्हित वादों में अपील करने का निदेश दिया गया।

बैठक में अभियोजकों को निर्देश दिया गया कि Eprosecution पोर्टल पर अभियोजक दिन प्रतिदिन के क्रियाकलाप का प्रविष्टि दर्ज करें, जिसके लिए सभी को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है।

जिन अभियोजकों द्वारा वाद का निष्पादन नही किया जा रहा है, उनके संबंध में प्रतिवेदन विधि विभाग को भेजने हेतु निदेशित किया गया।

जिलाधिकारी द्वारा स्पीडी ट्रायल की समीक्षा के क्रम में सभी लोक अभियोजक एवं विशेष लोक अभियोजक को निर्देश दिया गया कि वैसे वादों को चिन्हित किया जाए, जिन्हें स्पीडी ट्रायल के तहत सम्मिलित किया जा सकता है। बैठक में यह भी निर्देश दिया गया कि बहस और सुनवाई योग्य वादों को भी स्पीडी ट्रायल में लाते हुए उनका निस्तारण सुनिश्चित कराया जाए।

पुलिस अधीक्षक द्वारा जिला लोक अभियोजन पदाधिकारी एवं लोक अभियोजकों को निर्देशित किया गया कि सभी थानेदारों के साथ अभियोजन की मासिक बैठक आयोजित कर समीक्षा करें। इससे उनके द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत केस डायरी एवं चार्जशीट की गुणवत्ता संवर्धित हो सकेगी। न्यायालय में केस के खारिज होने की संभावना भी कम होगी और अभियुक्तों को सजा दिलाई जा सकेगी।

जिलाधिकारी ने समीक्षा के क्रम में यह भी निर्देश दिया गया कि जिन वादों में डिफॉल्ट ऑफ फैक्ट्स हुआ है, उनमें अनुसंधान पदाधिकारी के विरुद्ध प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाए। बैठक में अभियोजन एवं इसके अनुसंधान में समन्वय स्थापित करने का निर्देश दिया गया।

अभियोजन की मासिक समीक्षात्मक बैठक में प्रभारी पदाधिकारी, विधि शाखा, जिला अभियोजन पदाधिकारी, लोक अभियोजक एवं विशेष लोक अभियोजक, पोस्को, एसटी/एससी,एनडीपीएस एवं मद्य निषेध शामिल थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here