ओपीडी लाइसेंस पर सिजेरियन ऑपरेशन, आस्था लोक सेवा सदन में मरीजों की जान से खिलवाड़

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ओपीडी लाइसेंस पर सिजेरियन ऑपरेशन, आस्था लोक सेवा सदन में मरीजों की जान से खिलवाड़

खगड़िया, बिहार: मुख्यालय के समीप अवैध रूप से संचालित हो रहे नर्सिंग होम और क्लीनिक एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। ताजा मामला सदर अस्पताल रोड स्थित “आस्था लोक सेवा सदन” नामक क्लीनिक का है, जहां मरीजों की जिंदगी के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह क्लीनिक केवल ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) का लाइसेंस लेकर धड़ल्ले से सिजेरियन ऑपरेशन जैसी जटिल सर्जरी को अंजाम दे रहा है। इतना ही नहीं, ऑपरेशन के नाम पर अवैध उगाही का खेल भी यहां बेखौफ जारी है, जिससे स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत या घोर लापरवाही उजागर होती है।

 मामले की गंभीरता

“आस्था लोक सेवा सदन” में चल रही गतिविधियाँ किसी भी सभ्य स्वास्थ्य प्रणाली के लिए एक बड़ा खतरा है। एक ओपीडी लाइसेंस, जो केवल परामर्श और सामान्य जाँच के लिए होता है, सिजेरियन जैसे बड़े ऑपरेशन के लिए कतई उपयुक्त नहीं है। इस तरह के ऑपरेशन के लिए एक पूर्ण अस्पताल सेटअप, ऑपरेशन थिएटर, विशेषज्ञ सर्जन, एनेस्थेटिस्ट, चौबीसों घंटे नर्सिंग स्टाफ और आपातकालीन सुविधाओं का होना अनिवार्य है। इन बुनियादी सुविधाओं के बिना किए गए ऑपरेशन मरीजों की जान के लिए सीधा खतरा हैं। संक्रमण, रक्तस्राव, एनेस्थीसिया से जुड़ी जटिलताएं और ऑपरेशन के बाद की गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं ऐसी जगहों पर आम बात हो सकती हैं, क्योंकि वहां उचित निगरानी और आपातकालीन प्रबंधन की व्यवस्था नहीं होती।

 अवैध उगाही का खेल

सिजेरियन ऑपरेशन जैसी आवश्यक प्रक्रिया के नाम पर अवैध उगाही भी इस क्लीनिक में धड़ल्ले से चल रही है। गरीब और जरूरतमंद मरीजों को उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर अत्यधिक शुल्क वसूला जा रहा है, जबकि उन्हें वह गुणवत्ता और सुरक्षा नहीं मिल रही जिसकी वे हकदार हैं। यह न केवल कानूनी अपराध है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं का भी घोर उल्लंघन है।

 स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी पर सवाल

यह पहला मौका नहीं है जब जिले में अवैध क्लीनिकों और नर्सिंग होमों का संचालन स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे चल रहा है। पूर्व में भी ऐसी शिकायतें और खबरें सामने आती रही हैं, लेकिन उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से अवैध धंधेबाजों के हौसले बुलंद हैं। “आस्था लोक सेवा सदन” जैसे क्लीनिक का इतनी बेशर्मी से ओपीडी लाइसेंस पर सर्जरी करना सीधे तौर पर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही, उदासीनता या फिर मिलीभगत को दर्शाता है। यह सवाल उठता है कि क्या विभाग ऐसे अवैध संचालकों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाने में असमर्थ है, या फिर जानबूझकर आंखें मूंद रहा है?

 जनता की सुरक्षा खतरे में

स्वास्थ्य विभाग का यह ढुलमुल रवैया आम जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल रहा है। जब जिम्मेदार विभाग ही अपनी निगरानी और नियामक भूमिका निभाने में विफल रहता है, तो अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है और निरीह जनता इसका शिकार होती है।

 आवश्यक कार्रवाई की मांग

स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने “आस्था लोक सेवा सदन” के खिलाफ तत्काल और कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनकी मांग है कि क्लीनिक को तुरंत सील किया जाए, इसके संचालकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए और उन स्वास्थ्य अधिकारियों की भी जवाबदेही तय की जाए जिनकी नाक के नीचे यह अवैध धंधा फल-फूल रहा है। इसके साथ ही, जिले में संचालित अन्य सभी नर्सिंग होम और क्लीनिकों की गहन जांच की जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सभी वैध लाइसेंसों और आवश्यक मानदंडों का पालन कर रहे हैं।

यह घटना एक बार फिर इस बात को रेखांकित करती है कि बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की कितनी सख्त जरूरत है, ताकि कोई भी मरीज अवैध और अनैतिक प्रथाओं का शिकार न हो।

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