श्रद्धा एवं भक्ति के साथ श्रद्धालुओं ने मनाया वैशाखी छठ पर्व
तीन दिवसीय वैशाखी छठ पर्व को घरों और तालाबों के तट पर सूर्य को दिया गया अर्ध्य
विभिन्न तरह के समस्याओं के साथ मनोकामना पूर्ण होने एवं सुख समृद्धि के साथ स्वस्थ जीवन की कामना को लेकर रविवार को मनाया गया वैशाखी छठ पर्व। जानकारों की मानें तो वैशाख संकष्टी चतुर्थी है, जो भगवान गणेश की आराधना का विशेष दिन है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भक्तों के जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं और उन्हें धन, सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से महिलाओं के लिए यह व्रत संतान की लंबी आयु और खुशहाल जीवन की कामना से जुड़ा हुआ है। इस शुभ दिन को वैशाखी छठ पर्व भी मनाया जाता रहा है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं। यह व्रत जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और परेशानियों को समाप्त करने की शक्ति रखता है। इसके प्रभाव से घर में सुख-शांति बनी रहती है और आर्थिक संकटों से भी मुक्ति मिलती है।
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है और उनकी पूजा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके सकारात्मकता लाती है। चूंकि गणेश भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं, इसलिए इस व्रत को करने से उनके माता-पिता का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
एवं रात्रि में शुक्रवार को छठ वर्तियों ने नहाए खाए के साथ इस अनुष्ठान का शुरूआत किया। नियम के अनुसार नहाए खाए के दिन कद्दू भात भारतीयों ने ग्रहण किया साथ परिवार के लोगों ने भी कद्दू भात खाया। शनिवार को करना उपवास रखा गया एवं रात्रि में पूजन किया गया और रविवार को भगवान भास्कर को फल एवं पकवान के साथ जल अर्पित किया गया। इस पावन अवसर पर भक्तगण भगवान गणेश की भी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।