मिड डे मील वर्कर यूनियन की बैठक में सरकार के खिलाफ आक्रोश
खगड़िया, बिहार: मिड डे मील वर्कर यूनियन (रसोईया यूनियन) ने बिहार सरकार द्वारा मिड डे मील रसोइयों की मजदूरी में की गई मामूली बढ़ोतरी को ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ बताया है. खगड़िया में हुई एक बैठक में, जिसमें सैकड़ों रसोइया शामिल थीं, यूनियन ने सरकार के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया और बड़े आंदोलन की चेतावनी दी.
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में, नीतीश सरकार ने मिड डे मील रसोइयों की मजदूरी में प्रति माह 1650 रुपये की बढ़ोतरी की थी, जिसे सरकार ने ‘प्रोत्साहन राशि में वृद्धि’ कहा था. यूनियन का कहना है कि यह वृद्धि ऊंट के मुंह में जीरा जैसी है और लाखों रसोइयों के साथ क्रूर मज़ाक है. यूनियन की जिला सचिव नीतू देवी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बढ़ोतरी के बाद की स्थिति पर चर्चा की गई.
यूनियन की मुख्य मांगें
यूनियन के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय कुमार ने कहा कि सरकार की यह बढ़ोतरी शोषण की याद दिलाती है. उन्होंने कहा कि रसोइयों को मां की तरह काम करने के बाद भी बहुत कम मेहनताना मिलता है, जिससे उनके सामने दो जून की रोटी का संकट बना रहता है. यूनियन भारत सरकार के 46वें श्रम सम्मेलन के सुझाव के अनुसार, 26,000 रुपये प्रति माह वेतन की मांग करती है.
यूनियन ने सरकार के सामने कुछ और अहम मांगें भी रखी हैं:
* ‘प्रोत्साहन राशि’ के बजाय वेतन तय किया जाए.
* मासिक मानदेय 10 महीने के बजाय 12 महीने दिया जाए.
* मासिक मानदेय को बढ़ाकर 10,000 रुपये किया जाए.
* रसोइयों को आकस्मिक और महिला रसोइयों को विशेष अवकाश की सुविधा मिले.
* मातृत्व अवकाश की सुविधा दी जाए.
* कार्यकाल में मृत्यु होने पर आश्रितों को अनुकंपा का लाभ मिले.
* काम के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने पर मुफ्त इलाज की सुविधा मिले.
* खाना बनाने के अलावा कोई और काम नहीं लिया जाए.
* मानदेय का भुगतान हर महीने समय से किया जाए.
सरकार को चेतावनी
यूनियन के नेताओं ने कहा कि सरकार इन मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है, जिससे रसोइयों में भारी गुस्सा है. उन्होंने नीतीश सरकार से बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सभी मांगों पर विचार करते हुए मानदेय को 10,000 रुपये प्रति माह करने की अपील की. अगर सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया, तो रसोइया के पास बड़े आंदोलन के सिवा कोई और विकल्प नहीं बचेगा. यूनियन के संरक्षक सुरेंद्र प्रसाद ने सभी रसोइयों से अपने हक के लिए संगठित होकर संघर्ष करने का आह्वान किया.
इस बैठक में कुंती साहू, शारदा देवी, कृष्णा देवी, सीता देवी, अरविंद यादव, जफीरा खातून, राजेश कुमार, विमल देवी, दिनेश रजक और असरती खातून सहित दर्जनों रसोइयों ने अपने विचार रखे.